5 अउ उहै किताब लग हम मनसेन के तरकन के अउ ऊ हर बाधा के, जउन भगवान के ग्यान के बिरोध ठाढ हबै, उके टोरथन, अउ हर अक्ठी भावना के कबजा करके मसीह के आदेस मानै बाले बना देथै।
पय मै अपन देह के अंग हे अक दूसर नियम देखथो, हइ मोर दिमाक हे मउजूद नियम के बिरोध लडथै, हइ मोके पाप के नियम के जउन मोर देह के अंग हे मउजूद हबै, गुलाम बनाय रखिस।
ऊ अपन घमंड हे उन सगलू के बिरोध करथै, अउ उनखर लग खुद के बडा मानथै, जउन देउता कहाथै, या पवितर समझे जथै, इहां तक कि ऊ भगवान के मन्दिर हे बइठके खुद के भगवान होयके दाबा करथै।
भगवान के बचन जिन्दा अउ किरयासील हबै, ऊ कउनो दुइधारी तलबार लग बडके चोंख हबै अउ परान अउ आतमा के अउ गांठ-गांठ अउ गूदा-गूदा के अलगे करके आर-पार छेदथै अउ हिरदय के आदत अउ मन के जानथै।
तुम आदेस मान के सत्य के गरहन करे हबा अउ हइ मेर बिना कपट के हरमेसा माया के निता अपन आतमा के पवितर के लय हबै, इहैनिता अब तुमही सुध्द हिरदय अउ तन-मन लगाय के अक दूसर लग माया करै चाही।