तुम अपन देह के अंगन के अनियाय के साधन बनै के निता पाप के अरपित झइ करा, तुम अपन के मिरतू मसे फेरै जिन्दा समझ के भगवान के परति अरपित करा अउ अपन अंगन के नियाइपन के साधन बनै के निता भगवान के सउप देया।
हइ कारन दुरिहां होउत भरमा मै तुमके हइ सब लिखथो कि उहां मउजूद होमै हे मोके परभु दवारा दय गय हक का परयोग ठोस भाव हे झइ करै के पडै, हइ हक के उदेस्य हबै उन्नत करै के न कि नास करै के।