6 अगर हम दुख सहथन ता हइ तुम्हर सान्ति अउ मुकति के निता हबै, अगर हमके धीर मिले हबै ता हइ तुम्हर सान्ति के निता हबै, कि तुमो उन दुख के धीर के संग सहि सका, जउन हम सहथन।
पय उहां रुकय के अपन टेम पूर करके हम बिदा लयन अउ अपन यातरा पूर करथै, अपन डउकी अउ अपन लरकन के लइके नगर के बाहिर आइस उहां सागर हे घुटवा के बल झुक के बिनती करन।
जिहां तक मोर बात हबै, मोर लिघ्घो जउन कुछु हबै, तुम्हर खुसी के निता खरच करिहों, इहां तक कि खुद के तुम्हर निता खरच के डरिहों, अगर मै तुम्हर लग जादा माया करथो, ता भला तुम मोके कम माया कइसन करिहा।