24 ऊ अपन देह हे हमर पापन के क्रूस हे लाद लइस, जेखर लग हम पाप के निता मर के नियाइपन के निता जिये लग जइ, तुम ओखरै मार खाय के दवारा तुम नांगा लग निक्खा होय हबा।
“परभु कर आतमा मोर संग हबै, काखे ऊ मोर अभिसेक करे हबै, ऊ मोके पठोय हबै, कि मै कंगालन के संदेस सुनाव, अउ जेलियरन के मुकति करो, अउ अंधरन के फेरै आंखी देय के संदेस दों, मै दलित मनसेन के आजाद करव।”
तुम अपन देह के अंगन के अनियाय के साधन बनै के निता पाप के अरपित झइ करा, तुम अपन के मिरतू मसे फेरै जिन्दा समझ के भगवान के परति अरपित करा अउ अपन अंगन के नियाइपन के साधन बनै के निता भगवान के सउप देया।
का तुम नेहको समझथा कि तुम अपन आदेस के मानै बाले हरवाह के रूप हे जेखर परति अरपित करथै अउ जेखर आदेस के पालन करथै, तुम उहै के गुलाम बन जथा? हइ गुलाम चाहे पाप के होय, जेखर परिनाम मिरतू हबै, चाहे भगवान के होय, जेखर आदेस मानै के परिनाम नियाइपन हबै।
पय अब नियम लग मुकति मिल गय हबै, काखे जउन नियम हमही बांध के धरे रथै, ओखर निता हम मर गय हबन, अउ अब पुरान नियम के दवारा नेहको बलुक आतमा के नबा रीति के दवारा हम अपन भगवान के सेबा करथन।
हइ नदिया सहर के बडा रास्ता लग बहत, नदिया के दोनो पल्ला जीवन के रूख हबै, जेहमा बारह मेर के फडुहा उत्पन्न होथै, हइ रूख हे हर महिना फडुहा देथै हइ रूख के पत्ता हे देस-देस के मनसेन के निक्खा करै के सक्ति हबै।