तब मोके असना अहसास हुइस कि मै अक्ठी कांच के समुन्दर के देखथो, जेहमा आगी मिलरे हर होय अउ मै देखथो कि उन ऊ गोरू के मूरती हे अउ ओखर नाम लग सबंधित गिनती हे जीत पाय लय हबै, उहो ऊ कांच के समुन्दर हे ठाढ हबै, उन भगवान के दवारा दय हर बसुरी रथै।
जउन जीत पाही उके मै अपन भगवान के मन्दिर हे अक्ठी खम्भा बनाहुं। अउ ऊ फेर कबहुन बाहिर नेहको निकडही अउ मै अपन भगवान के नाम अउ अपन भगवान के सहर मतलब नबा यरुसलेम के नाम, जउन मोर भगवान के लिघ्घो लग स्वरग लग उतरै बाले हबै अउ अपन नबा नाम ओखर उप्पर लिखहुं।
अउ जउन जीत पाही ऊ इहै मेर चरका बन्डी पहनही, मै जीवन के किताब लग ओखर नाम के नेहको मिटाहुं, बलुक मै तो ओखर नाम के अपन बाफ अउ ओखर स्वरगदूत के लिघ्घो मान सम्मान परदान करिहों।