“परभु कर आतमा मोर संग हबै, काखे ऊ मोर अभिसेक करे हबै, ऊ मोके पठोय हबै, कि मै कंगालन के संदेस सुनाव, अउ जेलियरन के मुकति करो, अउ अंधरन के फेरै आंखी देय के संदेस दों, मै दलित मनसेन के आजाद करव।”
स्वरग लग उतरे हर ऊ जीवन के रोटी हे आंव, अगर कउ हइ रोटी मसे खाही, ता ऊ सबरोज जिन्दा रही अउ जउन रोटी मै देहुं, ऊ मोर देह हबै जउन मै दुनिया कर मनसेन के निता बलि करिहों।
काखे भगवान अपन स्वरगदूत लग असना कबहुन नेहको कहिस, “तै मोर टोरवा हबस, आज मै तुम्हर बाफ बन गय हव।” अउ न भगवान कउनो स्वरगदूत के बारे हे कहिस, कि “मै उनखर बाफ हुइहों अउ उन मोर टोरवा।”