मालिक ठगरा भन्डारी के चतुराई लग परसंसा करथै, दुनिया के मनसे उजियार के लरका के तुलना हे अपन बिरादरी के संग अपन-अपन आचरन बेउहार हे केतका अधिक होसियार हबै।
काखे अक्ठी असना टेम आही जब ऊ खरी सिक्छा के सह न सकहिन, ऊ अपन इक्छा पूर करै के निता असना गुरू के अकजुट करही, जउन उनही केबल कानन के निक्खा लगै बाले सिक्छा दइहिन।