8 “खाना हमही भगवान के लिघ्घो नेहको पहुंचाय सकथै।” अगर हम मूरती हे चढाय हर परसाद नेहको खाबो ता ओखर लग हमही कउनो नुसकान नेहको, अउ अगर हम ऊ परसाद के खथन, ता ओखर लग हमही कउनो फायदा नेहको होही।
ऊ मालिक सबझन के उनखर सक्ति के हिसाब लग, अक्ठी हरवाह के सोना के पांचठे पइसा, दूसर हरवाह के दुइठे पइसा अउ फेर तीसर हरवाह के अक्ठी पइसा देथै, एखर बाद हे ऊ परदेस कढ गइस।
कउ इहो कइहीं, “पय खाना लादा के निता हबै अउ लादा खाना के निता हबै।” हव, पय भगवान दोनो के नास के देही। देह गलत काम के निता नेहको, बलुक परभु के निता हबै, अउ परभु हमर देह के निता हबै।
कइन मेर के सिक्छा के बहकाबा हे झइ बहि जइहा, काखे मन के निता सही हबै कि ऊ अनुगरह के दवारा मजबूत करे जाय न कि खाय पिये के चीज लग, खाना पीना के रीति रिबाज के दवारा कउनोन के फायदा नेहको हुइस।