31 जउन हइ दुनिया के चीजन के ऊज करथै उन असना करै कि कउनो चीजन के ऊज नेहको करथै, काखे हइ दुनिया के चीज अबे के टेम हे अछप्प होत हबै।
इहैनिता सचेत रहा ताकि तुम्हार मन भोग बिलास हे कही मतबालेपन अउ हइ जीवन चिन्ता लग सुस्त झइ होबे, अउ ऊ रोज हरबी तुम लिघ्घो आमैके पडही।
हे भाई मै तुम्हर लग हइ कथो, कि टेम चुटु हस हबै, अब लग जउन काज करवाय हर हबै उनो हइ मेर रहै जसना कि काज नेहको होय हबै,
जउन दुखी हबै, उन असना रहै कि कउनो दुख नेहको हबै, जउन मगन हबै, उन असना मनामै कि कउनो मगन नेहको हबै, जउन कुछु चीज के धंधा करत होय, उन असना करै कि उनखर लिघ्घो कुछु चीज नेहको हबै,
तब का हबै मोर मजदूरी? हइ कि मै भगवान के संदेस के परचार फिरी हे करत रहों अउ एखर लग सबंध अपन हक के ऊज नेहको करव।
अक्कै बेर अउ हइ सब्द लग इसारा मिलत हबै कि जउन चीज डोलाय जही, उन सिरजे हर चीज होय के कारन टर जही अउ जउन नेहको डोलाय जही उन बने रही।
तुम नेहको जानथा कि कल तुम्हर का हालत होही। तुम्हर जीवन अक्ठी कोहिटा मेर हबा, ऊ अक घरी देखही फेर उजाय जही।
काखे सगलू देह चारा मेर, अउ ओखर सोभा पतेरन के फूल के जसना हबै, चारा मुरझाय जथै, फूल झड जथै।
ऊ टेम निकट हबै जब सब कुछ बढाय जही, इहैनिता समझदार बना अउ धीर धरा, जेखर लग तुम पराथना बिनती के सका।
दुनिया अउ ओखर लालच दोनो खतम होथै, पय जउन भगवान के इक्छा पूर करथै ऊ जुग-जुग तक बने रथै।