16 तै का जानथस, हुइ सकथै कि डउकी अपन डउका के मुकति के कारन बन जाय, अउ डउका अपन डउकी के मुकति के कारन बन जाय।
मै तुम्हर लग कथो, स्वरग हे इहैमेर भगवान कर स्वरगदूत ऊ पापी मनसे के निता खुसी बनाथै, जउन पस्चाताप करथै।”
कि मै कउनो मेर लग अपन बिरादरिन हे जलन पइदा के सको अउ एखर दवारा उनखर मसे कुछ मनसेन के मुकति हुइ सकै।
मै ढिलवन के निता ढिलवन मेर बनेव, जेखर लग मै उनही जीत सको, मै सब झन के निता सब कुछ बन गयों, जेखर लग कउनो न कउनो मेर लग कुछ मनसेन के मुकति हुइ जाय।
अपन अउ सिक्छा के चवकसी रख। हइ बातन हे स्थिर रहबे, काखे अगर असना करत रइहा, ता तै अपन अउ अपन सुनैबालेन के निता मुकति के कारन होही।