मै चाहथो कि तुम्हर मसे हर अकझन के आने भासा हे बोलैके बरदान मिलै, पय एखर लग अच्छी हइ होही कि तुमही आगू कर बात करै के बरदान मिलै, अगर आने भासा बोलै बाले मनसे मंडली के उन्नत के निता उनखर अनुवाद नेहको करथै, ता एखर अपेक्छा आगू कर बात करै बाले ओखर लग बढके हबै।
उन मनसेन के बीच, जउन मजबूत हुइ गय हबै, हमु ग्यान के बात करथन। हइ ग्यान न तो हइ दुनिया के हबै अउ न हइ दुनिया के मुखियन के, हइ सब ग्यान बढोय जाय बाले हबै।
हे भाई अउ बेहन, मै तुम्हर निता अपन खुद अउ अपुल्लोस के उदाहरन दय हबो कि जेखर लग हमर उदाहरन लग हइ सिक्छा लइ सका कि कउनो मनसे पवितर किताब के बेज्जती झइ करिहा, अउ तुम अकझन के पक्छ लेयत अउ दूसर झन के बिरोध करत गुस्सा हे झइ भर जइहा।