का तुम नेहको जानथा कि तुम्हर देह पवितर आतमा के मन्दिर हबै? ऊ तुमही भगवान के तरफ लग मिले हबै, अउ ऊ तुम्हर भित्तर रथै, अउ ऊ आतमा हे तुम्हर कउनो हक नेहको हबै,
भगवान के मन्दिर का मूरती लग का रिस्ता? काखे हम खुद ऊ जिन्दा भगवान के मन्दिर हबन, जसना कि भगवान कथै, “मै उनखर भित्तर निबास करिहों, चलिहों फिरिहों, मै उनखर भगवान हुइहों, अउ ऊ मोर मनसे बनहिन।”
उहै हे तोर जर गहीर होय अउ उहै हे अपन उन्नत निरमान करा, तुमके जउन बिस्वास के सिक्छा मिले हबै, उहै हे मजबूत बने रहा अउ तोर हिरदय हे धन्यबाद के बिनती उमडत रहै।
अगर मोर आमै हे देरी हुइ जइ, ता तुमके हइ बात पता रहै चाही कि भगवान के घर हे मनसेन के आदत कइसन होय के चाही, जिन्दा परवार भगवान के मंडली हबै, ऊ सही के खम्भा अउ मूल आधार हबै।
पय भगवान के घराना हे मसीह तो अक्ठी टोरवा के रूप हे बिस्वास करै के ओग हबै अउ अगर हम अपन हिम्मत अउ ऊ आसा हे बिस्वास के बनाय रखथन ता हमिन ओखर घराना के हबन।