42 मरे हरन के जिन्दा होमै के बारे हे हइ बात हबै, जउन बोय जथै, ऊ नास हुइ जही, जउन जी उठथै ऊ नेहको मरै बाले हबै।
तब धरमी मनसे अपन बाफ भगवान कर राज हे, बेरा के जसना चमकही। जेखर कान होय ऊ सुन ले।
काखे परान के नरक हे पवितर बिस्वास करैबाले, सेबकन के मरघटी हे सरै नेहको देही।
इहैनिता जउन मसीह के भभिस्य हे घटै बाले हबै, उके देखत दाऊद हइ कथै, “ओहमा मिरतू दुनिया नरक हे नेहको छांडिस, अउ न ओखर देह के मरघटी हे सरै दइ”
अउ हरमेसा के जीवन देय बाले भगवान के महिमा के मरै बाले मनसे, चिरइया, जानबर, सपुवा लग मिलत जुलत मूरतिन हे उन बनाय दइन।
जउन मनसे सब रोज धीरज पूरक भलाई अउ महिमा इज्जत अउ जउन कबहुन नेहको मरै बाले के खोज हे लगे रही, उनही ओखर बदले हे सबरोज के जीवन देही।
कि खुदय दुनिया बिनास के गुलाम लग मुकति पाय के भगवान कर टोरवा के महिमा अउ आजाद के मगन होही।
बेरा, जोंधइया अउ तरइयन के उजियार आने-आने मेर के होथै, काखे अक्ठी तरइया के उजेड दूसर तरइया के उजियार फरक हबै।
काखे जउन अपन देह के निता बोथै, ऊ देह के दवारा नास होही, अउ जउन पवितर आतमा के दवारा चलथै, ऊ पवितर आतमा के दवारा सबरोज के जीवन पाही।
जउन फिरी हे तुम्हर निता स्वरग हे धररे हबै, ऊ हरमेसा के जीवन सुध्द अउ अजर हबै।