तुम हइ टेम इके नेहको पचाय सकता, काखे तुम अब तक देह के स्वभाव के हबा, तुम्हर मसे जलन अउ झगडा होथै। का हइ बात के सबूत नेहको हबै कि तुम देह के स्वभाव के हबा, अउ दुनिया के मनसेन के रीति हे नेहको चलथै?
हे भाई अउ बेहन, मै तुम्हर निता अपन खुद अउ अपुल्लोस के उदाहरन दय हबो कि जेखर लग हमर उदाहरन लग हइ सिक्छा लइ सका कि कउनो मनसे पवितर किताब के बेज्जती झइ करिहा, अउ तुम अकझन के पक्छ लेयत अउ दूसर झन के बिरोध करत गुस्सा हे झइ भर जइहा।
मोके हइ डर हबै कि मोर उहां आमै हे मै तुमके अपन आसा के जसना न पाव अउ तुमो मोके अपन आसा के जसना न पाबा, मोके डर हबै, कि उहां झगडा, जलन, गुस्सा अउ बेवस्था ठीक न हो।
हे भाइयो, हम तुम्हर लग बिनती करथन कि जउन बिगड गय हबै, उनही डांटा जउन डेराय हबै, उनही हिम्मत देया जउन कमजोर हबै उनखर सहयोग करा अउ सबझन के संग धीर धरै बाले बने रइहा।