27 ओलख नाहं तर न्याय केरुहू पुण अधिकार आपील हि, ज्यानकेरता कि तो माणहान सोरो हि.
27 एने तो माणहान बिटोख हे, केरीन नियाव केरनेन ताह आदिकार बी आपेल हे।
पुण ज्यान वजेसे तुमूह जांण कि माणहान सोराह पृथ्वीपोर पापान क्षमा आपणेन अधिकार हि.” तेवी तो लखवा वालाहा कियो, “उठ, आपणो खाटलो वीस एने घेर जा.”
आबुक कुणीन न्याय केरतीन नाहं पुण न्याय केरुहू आखा काम सोरा होपीन आपील हि.
तेवी यीशु कियील, “मी जगाम न्यायनिवाडू केरणे केरता आवील हि, कारण जां नाह देखते ता देखती, एने जां देखतेह ता आंधला एय जाती.”
एने तास आमूह आज्ञा केरील कि माणहामाय पोरचार केरू, एने गवाही द्या कि हा तोच हि ज्याह बोगवानान जीवतालो एने मृत्यू पावलेल्यांचा न्यायी ठेरावील हि.
केरीन तान एक दिह निश्चित किरील हि, ता एक दिह तो एक माणहा फायरीन जगान न्याय केरुहू हि मुरील मायरीन जीवतालू केरीन आखा केरता हि वात पुरावो तान कियील हि.
केरीन ताहेरया ताहवोर बोगवान मसीहान वैर्यांना तान पाया बुंदे केरीन आपतेन नाहं ताहउर तान राज्य केरणेन आवश्यक हि.
ज्या शेवटेस दिहामाय आमूह सोरान मार्फत वातू केरील, ज्याह तान आखा वस्तूंऊ वारिस ठेरिन्यो ताहानद्वारे तान आखा सृष्टीची बनिव्ल्या केरील हि.
तो स्वर्गामाय जाइन बोगवानान जेवडी उगे बोहील; एने स्वर्गदूत, एने अधिकारी एने शक्तीन अधीन मिलील हेते.