24 बोगवान आत्मा हि, एने गर्जेन हि कि तान भक्ति केरणारा आत्मा एने खेरो उपासना केरणू.”
24 बोगवान जीव हे, एने जोरवरी हे काय तान बोक्ती केरनारे जीव एने खेराय माय बोक्ती केरी।”
पुण तो समय आविह, एने ऐवी भी हि, जामाय खेरा भक्त पितान आराधना आत्मा माय एने सच्चाई माय केरती, काहाकाय पिता तानकेरीन ओहलाच आराधना केरणाराह होदिह.
काहाकाय आमु आपणी विवेक बुद्धीन जी गवाहीपुर घमेंड केर्नु, का जगामाय एने विशेष केरीन तुमरे माय, आमरो वागणो बोगवानान योग्य इही पवित्रता एने सात्विकता हेर्यो एतो, जा शारीरक ज्ञानासे नाहं पुण बोगवानान कृपा हेर्यो हि.
प्रभु तर आत्मा हि: एने जाहारी कां प्रभुन आत्मा हि ताहारी स्वतंत्रता हि.
कारण खेरो खतना किरील आमु हेते जे आमरी सेवा बोगवानान आत्मा केरतीन हेते, एने मसीह यीशु माय गर्व राख्नारो, तोहोलोच जे काही शारीरिक हि तापोर विश्वास मेलतांलोन नाहं.
ऐवी अनंत राजा म्हणजे केध्दीह नाश एय नाहं, एने अदृश्य, एकुच बोगवानान सन्मान एने महिमा पिडीन पिडी एता रेणे जुवी. आमेन.