21 हे सोरा, तुमु स्वतांह मूर्ती से वोचाडीन मेल्जू.
21 एय मारा सोरा, सोताह मुरतीह रेन वोचाड़ीन मीलो।
एने आमूह परिक्षाम लावही मां, ते बुराई से वोचाड, कारण राज्य, पराक्रम एने महिमा तारीच हि, आमेन.
“ज्यानकेरता हे, मारो प्रियांनो, मूर्ती पूजा से सेटो रीवू.”
एने तुमूह मूर्ती पूजा केरणारा एहू नाह एता, कोलाक जान बुणील एता, जोहलो लिखील हि, “माणहे खाणेन पिईल बोह्ना एने खेलने कुदणे उठना हि.
काहाकाय ता स्वताह च आमरा विषय माय केणु का तुमरे आहने आमरो आवणो कोहलो एनो; एने तुमु काहा मूर्ती से बोगवाना वूखेर फिरना काहाकाय जीवताला एने खेरा बोगवानान सेवा केरू,
हे मार सोरा, मी ज्याह वातू तुमु तान केरता लेखतेलु हि कि तुमु पाप नाह केरणू; एने जर कूण पाप केरूह, तर पिता आमारो साहायक हि, म्हणजे खेरो यीशु मसीह;
तान पिढांचा सेटू पिडीन पिडी उठिलो रेंय, एने जो ता जीव एने तान मूर्ती ची पूजा केरणू, एने जो तान नावान शिक्का छापिल लेनो, ताह रात दिह हुख जुळी नाहं.
बाकी माणहे जां महामारी केरीन नाहं मोरील एता, आपणा आथान कामा मायरीन मोन नाहं फिरावील, का दुष्ट आत्मान, एने होनो, चांदी, पितली, एने देगडान एने लाकडान मूर्तीन पूजा मा केरू, ती नाह देख सकेत, नाह होम्ली सकेत, नाह चाल सकेत;