56 मोत ने डंक पाप हि; एने पाप ने बल व्यवस्था हि.
56 मोत ने टोचणो पाप हे, एने पापान ताकेत मुसान कायदो हे।
व्यवस्था तर क्रोधाला कारणीभूत ठरतलो, एने न्या व्यवस्था नाहं तिथ तान उघाड्ल्यु पुण नाहं.
काहाकाय पापान वेतन मरण हि, पुण बोगवानान वरदान आपणो प्रभु यीशु मसीहा माय अनंत जीवन हि.
जानकेरता मी तुमूह कियील एता कि तुमूह खुदने पापाहाम मोरण्यू जर तुमूह विश्वास केरतीन नाहं कि मी तो हि तुमूह आपणो पापाहाम देणे.
व्यवस्था मायतेच आवीन गीया कि अपराध जुलुम होवो, पुण जाहारी पाप एय गीयो ताहारी कृपा दान तापुररीन पुण होवटो एय गीयो,
यीशु ताह पोशो कियील, “मी निकलीन जाहू एने तुमूह मारो होदणे मुडोपुर पुण तुमूह स्वतान पाप ने मोरण्यू एने जाहारी मी जात हि ताहारी तुमूह आवहू शकत नाहं.”
काहाकाय जेवी ता एक माणहान अपराधान वजसे मरण एकाचने द्वारे राज्य किरील, ते जा माणहे कृपा एने धार्मिकतान वरदान जुलुम मिळवणे हि ते एक माणाहान, अर्थात यीशु मसीहान द्वारा खेरीच अनंत जीवनामाय राज्य केरती.
एने जोहलो माणहान केरीन इकवारी मुरील एने ताबादमाय न्याय एने ठेरायेल हि,
पुण जीही गुन्हान दशा हि, तोहलीच कृपा दाणान वरदानावजेसे नाहं, काहाकाय जेवी एक माणहान अपराधसे जादा माणहे मोरना, ते बोगवानान कृपा दान एने तान जो दान एक ज्यो हि का माणाहान, यीशु मसीहान कृपादानामाय जुलुम जाणान केरता एय गीयी.