18 सकभर सबकोइसङे मिल-जुइलके रह।
तोहर भेटी पैहने बेदीके कातमे राख आ जो। आपन भाइ-बहिनसे मेल कर आ तकरबाद आइबके भेटी चरहा।
धैनके चियै नरम स्वभाब भेल्हालसब, कथिलेत उसब पिरथिबीमे अधिकार करतै।
धैनके चियै मेल-मिलाप कराइबलासब, कथिलेत उसब परमेस्वरके बेटा-बेटी कहाइतै।
नोन असल चियै, महज ओकर सबाद उइरजेतै त ओकरा फेनो कनङके नोनगर बनाइतै? तु आपनमे नोनके सबाद जखा हो आ एक-दोसरसङे मिलापमे रह।”
ओहैसे तुसब रोम सहरमे भेल लोकसबके सेहो सुसमाचार परचार करैके हमरा खुब इक्छाछै।
कथिलेत परमेस्वरके राज खाइ-पियैबला चिज नै, महज पबितर आत्मासे आबैबला धारमिकता, सान्ती आ आनन्द चियै।
तैल्याके अपनासब उ बातसबके अनुसरन कर जे बात सान्ती लाबैछै आ एक-दोसरके बिस्बासमे बलगर बनाइले मदत करैछै।
महज बिस्बास नै करैबला घरबला या घरबाली अलग हैले चाहैछै त, उसब अलग हेबे। ओइ बखत बिस्बास करैबला घरबला या घरबाली बियाह बन्धनसे स्वतन्तर हैछै। कथिलेत परमेस्वर तोरासबके सान्तीमे रहैले बोलाइनेछै।
अन्तमे हमर पिरिय भाइ-भैयासब, आब हम बिदा हैत बेर, तोरासबके यि कहैले चाहैचियौ, कि जीजानसे सिध हैले कोसिस कर। हमर बिन्ती सुन, एक-दोसरके बात सुन आ सान्तीमे रह। सान्ती आ परेम दैबला परमेस्वर तोरासबसङे रहे।
महज पबितर आत्माके फलसब- परेम, आनन्द, सान्ती, धिरज, दया, भलाइ, बिस्वस्तता,
पबितर आत्मा तोरासबके मेलमिलापमे आन्ने छौ। ओइ एकताके सकभर जोग्याके राख।
ओइसबके करल कामके लेल ओकरासबके परेमसे एकदम आदर-भाव दहै। एक-दोसरसे मेलमिलापमे रहैजाइजो।
तैल्याके तु जबानीके अधलाह ललसासे दुर रह आ सुध हिरदयसे परभुके पुकारैबला सब सङे धारमिक्ता, बिस्बास, परेम आ सान्तीके पछा लाग।
जम्मे लोकसबसङे मिलके सान्तीमे रह आ पबितर जिबन जियैके कोसिस कर, कथिलेत पबितर नै भ्याके कोइयो नै परमेस्वरके देखैले सक्तै।
उ खराब कामसे घुइमके आबे आ असल काम करे आ सान्तीके खोजि करे आ ओहैमे लागल रहे।