11 सिंहासन, धरमगुरु आ चार जिबित परानीके चारुकात स्वरगदुतसब ठारभेल छेलै। उसब सिंहासनके अगा निहुकके अनङ कैहके परमेस्वरके आराधना करल्कै:
तब येसु फेनो ओकरा जबाब देल्कै, “ऐ सैतान, तु हमर नजरसे दुर भ्याजो! कथिलेत लिखल छै, ‘तु परमपरभु आपन परमेस्वरके गोर लाग आ ओकरेटा सेबा कर।’”
ताकि सबकोइ बेटाके आदर करे, जनङ उसब पिताके आदर करैछै। जे कोइ बेटाके आदर नै करैछै, उ लोक बेटाके पठाइबला पितोके आदर नै करैछै।
परमेस्वर आपन पहिन्का जलमल बेटाके सन्सारमे पठाबै बखत उ फेनसे अनङ कहल्कै, “परमेस्वरके सब स्वरगदुतसब ओकरे पुजे।”
तब परमेस्वरके अगा आपन आपन सिंहासनमे बैठैबला उ चौबिस धरमगुरुसब भुइयामे निहैकके एहेन कहैत आराधना करल्कै,
हे परभु, अहाँके डर के नै मानैछै? आ अहाँके नामके महिमा के नै करैछै? कथिलेकी अहाँ मातरे पबितर चियै। सब जातीके लोकसब आइबके अहाँके अगा आराधना करतै, कथिलेत अहाँके धारमिक कामसब परकट भेलछै।”
महज उ हमरा कहल्कै, “हमरा आराधना नै कर। हम त तोहर आ अगमबानी बोलैबला तोहर भाइ-भैया आ यि किताबके बचन पालन करैबलासब जखा परमेस्वरके सेबक मातरे चियै। परमेस्वरके मातरे आराधना कर!”
उसब गित गाबैतरहैत बेरमे सबदिन जिबित आ सिंहासनमे बिराजमान रहैबलाके अगा उ चौबिसटा धरमगुरुसब गोरलागल्कै आ आपन-आपन मुकुट ओकर सिंहासनके अगा राइखके अनङ कहल्कै,
उ सिंहासनके चारुओर चौबिसटा सिंहासनसब छेलै आ मुरमे सोनाके मुकुट आ उजर बस्तर पहिरने चौबिस गोरा धरमगुरुसब उ सिंहासनमे बैठल छेलै।
सिंहासनके अगा समुन्दर जखा देखाइबला चिज छेलै। उ चिज सिसा जखा सफा देखाइछेलै। आँखे आँख भेल चारटा जिबित परानी सिंहासनके अगा आ पछा कैरके चारुकातसे घेरनेछेलै।
उ चारु परानीके छ-छटा डेन छेलै आ डेनके बाहर आ भितरमे आँखसे झापल छेलै। दिनरात उसब नै थाकैत पिराइत अनङ गाबैत रहैछै। “सरबसक्तिमान परमेस्वर पबितर, पबितर, पबितर चियै। उ छेलै, उ छै आ उ रहतै।”