14 तब उ चारु जिबित परानी कहल्कै, “आमेन” आ उ धरमगुरुसब निहैकके गोरलगी करल्कै।
तुसब आत्मामे परमेस्वरके परसन्सा करबिही महज तोहर बात नै बुझैबला लोक तोहर बातमे सहमति जनाबैले कनङके “आमेन” कहतौ? कथिलेत उ तोहर कहल बात नै बुझैछौ।
तब उ चौबिस धरमगुरु आ चार जिबित परानीसब ठेङहुनिया द्याके सिंहासनमे बैठल परमेस्वरके आराधना करल्कै आ एहैन कैहके जयजयकार करल्कै, “आमेन, हालेलुयाह।”
उ सिंहासनके चारुओर चौबिसटा सिंहासनसब छेलै आ मुरमे सोनाके मुकुट आ उजर बस्तर पहिरने चौबिस गोरा धरमगुरुसब उ सिंहासनमे बैठल छेलै।
सिंहासनके अगा समुन्दर जखा देखाइबला चिज छेलै। उ चिज सिसा जखा सफा देखाइछेलै। आँखे आँख भेल चारटा जिबित परानी सिंहासनके अगा आ पछा कैरके चारुकातसे घेरनेछेलै।
तब हम देखलियै त बहुतो स्वरगदुतसब गित गाबैत रहै, जेसब सिंहासन, चारु जिबित परानी आ धरमगुरुके चारुदिसन ठारभेल छेलै, जकर गन्ती लाखो-लाख आ करोरोमे छेलै।
तकरबाद हम चारटा जिबित परानी आ धरमगुरुसबसे घेरल सिंहासनके बिचमे एकटा थुमा ठारभेल देखलियै। उ थुमा मारल जखा देखाइछेलै। ओकरा सातटा सिङ आ सातटा आँख छेलै। सातटा आँख पुरे पिरथिबीमे पठाल परमेस्वरके सात आत्मा चियै।
तकरबाद उ चारटा जिबित परानीसब आ चौबिसटा धरमगुरुसब अगा आइबके निहुक गेलै। सबके हाथमे एक-एकटा बजाबैबला बिना आ धुप गमकसे भरल सोनाके बाटी छेलै, उ धुपके गमक त परमेस्वरके लोकसबके चरहाल बिन्ती परथना चियै।
“आमेन! परसन्सा, महिमा ग्यान-बुइध, धन्यबाद, आदर अधिकार आ सक्ती जुगो-जुगतक अपनासबके परमेस्वरके हेबे। आमेन!”