1 तकरबाद हम स्वरगमे लोकसबके बरका भिरके आबाज जखा एहैन कहैत सुनलियै, “हालेलुयाह! मुक्ती, महिमा आ सक्ती अपनासबके परमेस्वरके चियै!
हमरासबके पापमे फसाइबला बातसबसे दुर राखु आ दुस्टसे बचाबु। [कथिलेत राज, पराकरम आ महिमा जुगो-जुग तक अहैके चियै, आमेन।’]
सातम स्वरगदुत आपन तुरही फुकल्कै त स्वरगमे बरका अबाज एहेन कहल्कै, “पिरथिबीमे राज करैके अधिकार आबसे अपनासबके परभु आ ओकर खिरिस्टके चियै आ उ जुगो-जुगतक राज करतै।”
तब हम स्वरगमे एहेन कहैत एकटा बरका अबाज सुनलियै, “आबसे अपनासबके परमेस्वर उधार करल्कै आ उ आपन राजकिय सक्ती देखेल्कै। आब ओकर खिरिस्ट अधिकार देखाइने छौ। आब अपनासबके भाइ-भैयासब दिन-रात परमेस्वरके अगा दोख लगाइबला सैतान स्वरगसे निकाइलके फेक देल्कै।
तकरबाद हम लोकसबके बरका भिरके अबाज या पानीके अबाज आ मेध गरजनके अबाज जखा एहेन कहैत सुनलियै, “हालेलुयाह! कथिलेत परमपरभु अपनासबके सरबसक्तिमान परमेस्वर राज करैछै।