जे लोकसब जानबर या ओकर मुरतिके पुजा करतै या ओकर नामके चेन्हा लगाइतै, तकरासबके दुख दैबला आइगके धुवाँ जुगो-जुग तक उपर उठैत रहतै आ ओकरा रात दिन कहियो नै चैन भेटतै।”
तब उ सहर टुकरा-टुकरा भ्याके तिन भाग भेलै आ सब देसके सहरसब नास भेलै। परमेस्वरके महान बेबिलोनके याद एलै आ आपन करोधसे भरल मध बाटीसे ओकरा पियैले देल्कै।