15 जे बेपारीसब उ सहरके कारन धनिक भेल छेलै उसब ओकर कस्ट देखके डरसे दुरे ठार भ्याके एहेन कहैत जोरसे कान्तै आ सोक करैत,
तब उ सिक्छा दैत कहल्कै, “कि एहेन लिखल नै छै, ‘हमर घर सब जातीसबके लेल परथनाके घर कहाइतै’? महज तुसब त अकरा डाकुसबके अड्डा बनाइने चिही।”
जब ओइ छौरीके मालिकसब देखल्कै कि आब कमाइके रस्ता ओरागेलै तब उसब पावल आ सिलासके पकैरके घिसयाइते सहरके चौकमे सासकसबलग आनल्कै।
ओकरासबके सोना, चानी, रत्न, मोती, मलमलके बस्तर, बैजनी बस्तर, रेस्मी आ चमकदार लाल रङके बस्तर आ सब किसिमके गमकौवा काठ, हाथीके दातसे बनल चिजसब, निकोसे निक काठ आ कसा, लोहा आ संगमरमरके चिजसब नै किन्तै।
ओकरासबके दालचिनी, मसला, महग अतर, गमकौवा धुप, उजर धुप, मध, जैतुनके तेल, मैदा आ गहुम, गाइ-भैसिसब, भेंरासब, घोरासब, रथसब, कमारा-कमारीसब किछो नै किन्तौ।
बेपारीसब ओकरा कहतै, “हे बेबिलोन, जे फलसब पाब्बै कैहके इक्छा करने छेल्ही से तोहरसे दुर चैलगेलछौ। तोहर धन-सम्पैत आ मान-सम्मान सब नास भेलछौ। आब उ फेर कहियो नै मिल्तौ!”
तब उसब आपन-आपन मुरीमे गरदा राख्तै आ कानैत कहतै, “धिक्कार, धिक्कार, उ महानगरीके धन-सम्पतीसे पानी जहादके मालिकसब धनिक भेल छेलै। एके छनमे उ सहर नास भेलै।”
कथिलेत सब जातीसबके लोकसब ओकर बेबिचारके मध पिके मातल छै आ सन्सारके रजासब ओकरसे बेबिचार करने छेलै आ सन्सारके बेपारियोसब ओकर बरका मोज-मज्जाके कारन धनिक भेल छेलै।”