21 अकाससे चालिस-चालिस किलोके पथल लोकसब उपर बरसैले लाग्लै आ लोकसब पथलके बिपतीके कारन परमेस्वरके सरापे लाग्लै कथिलेत उ बिपत एकदम भयानक छेलै।
तखन स्वरगमे परमेस्वरके मन्दिर खुल्लै आ ओकर मन्दिर भितर ओकर करारके सन्दुक देखापरलै। तब अकासमे बिजली चमैक उठलै। डरलागैबला अबाज सुनाइ देल्कै आ मेघके गरजन सुनेलै, भुमकौन गेलै आ बरका बरका पथल परलै।
तब उसबके घाँह-घौसके दुखसे स्वरगमे रहैबला परमेस्वरके सरापल्कै महज आपन करल पापसे पस्चताप करैले नै मानल्कै।
लोकसब सुरुजके टहटह रौदसे डहलै आ यि दुख-कस्टसे उसब परमेस्वरके नामके धिक्कारल्कै महज उसब आपन पापसे पस्चताप करैले आ ओकरा महिमा दैले इन्कार करल्कै।
पहिल्का स्वरगदुत आपन तुरही फुकल्कै त लहुसङे मिझराइल पथल आ आइग पिरथिबीमे बरसलै। जकर कारन पिरथिबीके एक तिहाइ भाग, गाछसबके एक तिहाइ भाग आ सब हरियर घास-पतार डैहगेलै।