जे सैतानके जित्तै, उ अनङ उजर बस्तर लगाइतै आ ओकर नाम हम जिबनके किताबसे कहियो नै मिटकाइबै। उ हमर लोक चियै कैहके आपन पिता आ ओकर स्वरगदुतसबके अगा हम सुइकार करबै।’
तब स्वरगमे, पिरथिबीमे, पिरथिबी निचा पतालमे, समुन्दर आ ओते भेल सब परानीके अनङ कहैत हम सुनलियै, “सिंहासनमे बिराजमान हैबलाके आ थुमाके इस्तुती, आदर, महिमा आ बल सदा-सरबदा हेबे।”