तब बचन लोक बैनके अपनासबके बिचमे बास करल्कै आ अपनासब ओकर महिमा देखलियै, जे महिमा परमेस्वरसे आबैबला एक मातरे बेटामे छेलै। उ आपनौरके पुरा रुपसे अनुगरह करैछै आ सत बात मातरे बोलैछै।
हे स्वरगमे भेल्हासब, उ सहर नास भेलासे खुस हो। हे परमेस्वरके पबितर जनसब, परेरितसब आ अगमबक्तासब सबकोइ आनन्द मना! कथिलेत तोरासबके सताबैके कारन परमेस्वर ओकर नियाय करने छै।
तब स्वरगमे, पिरथिबीमे, पिरथिबी निचा पतालमे, समुन्दर आ ओते भेल सब परानीके अनङ कहैत हम सुनलियै, “सिंहासनमे बिराजमान हैबलाके आ थुमाके इस्तुती, आदर, महिमा आ बल सदा-सरबदा हेबे।”
तकरबाद हम ताकलियै त कोइ नै गनैले सकैबला लोकसबके एकटा बरका भिर देखलियै। उसब हरेक जाती, हरेक कुल, हरेक देस आ हरेक भसाके लोक छेलै। उसब उजर बस्तर पिन्हके हाथमे खजुरके ठाइर लेके सिंहासन आ थुमाके अगा ठारभेल हम देखलियै।