12 तै खातिर स्वरग आ ओते रहैबलासब आनन्द मना! महज पिरथिबी आ समुन्दरमे कतहेक दुख हेतौ! कथिलेत तोरासबके बिचमे सैतान करोधके साथ उतैरके एलछौ, आ ओकर समय ओराइले लागलछै से ओकरा मालुम छै।”
हम तोरासबके कहैचियौ, अहिनङे पस्चाताव करैबला पापीके लेल स्वरगमे परमेस्वर स्वरगदुतसबके अगा खुसी मनाबैछै।”
“स्वरगमे परमेस्वरके महिमा आ पिरथिबीमे जै लोकसबसे परमेस्वर खुसीछै, ओकरासबके सान्ती।”
पबितर धरमसास्तरमे एहेन लिखलछै, “आब आबैबला जल्दीए एतै आ उ देर नै करतै।
महज पिरियसब, एकटा बात कहियो नै बिसराइहे कि, परभुके लेल एक दिन हजार बरिस जखा आ हजार बरिस एक दिन जखा चियै।
जुगो-जुगतक जिबित रहैबला, अकास, पिरथिबी, समुन्दर आ ओइमे भेल सब चिज सिरिस्टी करैबला परमेस्वरके नाममे उ किरिया खाके कहल्कै, “आब देरी नै हेतै।
यि दुनु साक्छी दैबलाके मिरतु भेलाके कारन पिरथिबीके लोकसब खुसियाली मनाइतै। एक दोसरके उपहार पठाके आनन्द मनाइतै, कथिलेकी यि दुनु अगमबक्तासब पिरथिबीमे रहैबला लोकसबके बहुत दुख देने छेलै।
दोसर बिपत बित्लै, “देख, तेसर बिपत जल्दिए एतौ।”
अहिनङे उ अजेगर, जे पहिन्का साँप चियै, जकर नाम दुस्ट आत्मा आ सैतान सेहो चियै, जे पुरे सन्सारके भरमाके राखने छेलै, ओकरा आ ओकर दुतसबके सङे स्वरगसे पिरथिबीमे फेक्नेछेलै।
उ परमेस्वरके अपमान, ओकर नाम, ओकर रहैबला ठाम आ स्वरगमे रहैबलासबके निन्दा करेलाग्लै।
हे स्वरगमे भेल्हासब, उ सहर नास भेलासे खुस हो। हे परमेस्वरके पबितर जनसब, परेरितसब आ अगमबक्तासब सबकोइ आनन्द मना! कथिलेत तोरासबके सताबैके कारन परमेस्वर ओकर नियाय करने छै।
हम देखलियै, अकास उपरमे एकटा गरुर जोरसे अनङ कहैत सुनलियै, “पिरथिबीमे रहैबलासबके धिक्कार! धिक्कार! धिक्कार! कथिलेकी औरो बाकी रहल तिन स्वरगदुतसब तुरही फुक्तै त पिरथिबीमे परैबला बिपत केहेन हेतै?”
पहिल्का बिपत समापत भेलै। दुइटा बिपत औरो आबैले बाकिछै।