अन्तमे, भाइ-भैयासब, जे बात सत छै, जे बात असल छै, जे बात नियाय संगत छै, जे बात पबितर छै, जे बात परेम योग्य छै, जे बात किरपाके योग्य छै, अरथात जे आदरके योग्य छै आ परसन्साके योग्य छै तैमे मन लगा।
हे हमर भाइ-भैयासब, यदी कोनो लोक “हम परमेस्वरमे बिस्बास करैचियै” त कहतै, महज ओकर इक्छा बमौजी नै चल्तै त कोन फाइदा? कि एहेन लोकके परमेस्वर बचाइतै त?