35 तखुन्ते ओकर कान सुने लाग्लै, बाक फुटलै आ सुध बोले लाग्लै।
अन्हरासब देखैछै, नेङरासब चलैछै, कोढि-कुस्टी लागलसब सुध हैछै, बैहरासब सुनैछै, मरलसब जिजाइछै आ दुखी गरिबसबके सुसमाचार सुनाइछै।
तब उ तखुन्ते सबकोइके सामनेमे उठलै आ आपन झोल्ङा उठाके गेलै। ओतेका सबलोक आस्चरजमे परलै आ परमेस्वरके परसन्सा करैत कहल्कै, “एहेन काम त हमसब पहिने कहियो नै देख्ने छेलियै।”
तब स्वरग दिसन ताकैत उ लम्बा साँस ल्याके कहल्कै, “इफाता” अरथात “खुइलजो!”
येसु यि घटनाके बात ककरो नै कहिहे कैहके आग्या करल्कै महज जतेक मना करल्कै ततेक लोकसब परचार करैत गेलै।