21 कथिलेत सब परकारके नै निक बातसब मनके भितरसे खराब बिचार, अनैतिक समबन्ध, चोरी, हतिया, बेबिचार
कथिलेत हिरदयेसे खराब बिचार, हतिया, पर-इस्तरी गमन, अनैतिक देहके समबन्ध, चोरी, झुठा गबाही आ निन्दा करैबला बातसब बाहर निकलैछै।
येसु ओइसबके मनके बात जाइनके कहल्कै, “तुसब आपन मनमे कथिले अधलाह बात सोचैचिही?
तब येसु फेनो कहल्कै, “लोकके मन भितरसे जे बाहर निक्लैछै उ बातसे लोकके असुध करैछै।
लोभ, दुस्मनी, छल-कपट, निरलज, रिस-डाह, निन्दा, घमन्ड, मुरखता निक्लैछै।
तब येसु ओइसबके कहल्कै, “लोकसबके अगामे आपनके धरमी देखाइबला तुहिसब चिही, महज परमेस्वर तोरासबके हिरदयके बातसब जानैछौ, कथिलेत लोकसबके बिचमे जे बरका कहाइछै, परमेस्वरके नजरमे उ सबसे तुच्छ हैछै।
उ जमिन नै बेच्ने रहै ताबे तक कि तोहर आपने नै रहौ? आ बेचलाके बादो कि उ तोहर अधिकारमे नै रहौ? एहेन काम करैके बिचार तोहर मनमे कनङके फुरलौ? तु त लोकसबके नै, महज परमेस्वरके ठगने चिही।”
आब तु आपन भरस्ट मनके लेल पस्चाताप कर आ परभुसे परथना कर, भ्या सकैछौ त तोहर मनके एहेन बिचार देखके छमा कैरदेतौ।
अपनासब एक समय देहके पाप स्वभावमे जिबन बिताइत रहियै। ओइ बखत पापी स्वभाव बेबस्थाके बिरोधमे अपनासबके बहुत पाप करैले लगेल्कै आ मिरतुके भागिदार बनेल्कै।
महज यि आग्याके कारनसे पाप मौका पाइबके हमरा सबपरकारके लोभ करैले लगेल्कै। कथिलेत बेबस्था नै रहतियै त पाप अपनासबके जिबनमे कोनो अधिकार नै करतियै।
सन्सारमे तुसब आपन देहके इक्छाके मार, जनङ: बेबिचार, अधलाह बात, दुस्ट काम, असुध बिचार आ लोभ जे मुरतिपुजा चियै।
कथिलेकी अपनोसब एकबेर मुरुख, ककरो कहल नै मानैबला आ भुलमे परल छेलियै। बहुतो तरहके देहके खराब इक्छासब आ भोगबिलासमे फसल छेलियै। अपनासब दुस्ट आ डाहके जिबन बिताबै छेलियै। अपनासब दोसरके घिरना करैत रहियै त उहोसब अपनासबके घिरना करैछेलै।
कि तोरौरके आपने बिचमे भेदभाव नै करलिही आ गलत बिचार करल दोख नै लाग्तौ?