18 यहिनङे कतहेक लोकसब बिया छिटल काँटके झार भ्याल जमिन जखा चियै, जे बचन सुनैछै,
काँटके झारमे परल बिचहन उ लोक जखा चियै, जे बचन सुनैछै, महज सन्सारके चिन्ता आ धन-सम्पतीके मोह-मायासे बचनके दाइब दैछै। उ बचन ओकर जिबनमे कोनो परकारके फल नै फराबैछै।
महज ओइसबके आपन सिक्छाके सिर नै लागलसे उ बहौत देर नै टिकैछै। महज बचनमे बिस्बास करैके कारन जब दुख आ सताबट आबैछै, तब तुरन्ते उसब छोरदैछै।
महज दुनियाके चिन्ता, धनके मोह आ औरो चिजके ललसा आइबके बचनके दाइब दैछै। तहैले उसब फल नै फराबैछै।
कुछ बिया काँटसबके झारमे परलै। काँटके झारसब बरहैत गेलै आ जलमल बियाके झाइप देल्कै आ ओइमे फल फरैले नै सक्लै।
काँटसबके बिचमे परेबला उसब चियै, जे कोइ सुनैछै महज पाछे जिबनके चिन्ता, धन, सुख-चैन के खातिर नै बरहे सकैछै।