14 उ लोक जै घरमे ढुक्तौ ओइ घरके मालिकके कह ‘हमरासबके गुरु जी कहैये, हम आपन चेलासब सङे निस्तार पाबैनके भोज खैबै से मेजमान-घर कते छै?’
जब येसु रस्तामे जाइछेलै तब एकटा लोक दौरके ओकर अगा एलै आ ठेङहुनिया दैत कहल्कै, “हे असल गुरु जी, अनन्त जिबन पाबैले हमरा कथी करेपरतै?”
कोइ तोरासबके ‘यि कथी करैचिही?’ कहतौ त, ‘परभुके अकर जरुरत छै आ फेनो उ अकरा तुरन्ते घुमादेतौ’ कहिहे।”
तब उ आपन चेलासबमेसे दुइ गोरेके यि कैहके पठाइल्कै, “सहरमे जो। ओते घैलामे पानी ल्याके जाइत एकटा लोक भेटतौ। ओकर पछा-पछा जो।
तब उ तोरासबके सजिसजाउ कैरके तैयार करल दोमहलाके उपरका बरका कोठली देखाइतौ आ ओतै तुसब हमरासबके खातिर भोज तैयार कर।”
आ ओइ घरके मालिकके कैहिये, ‘हमरासबके गुरु जी अहाँके पुछैये, हमरा आपन चेलासबसङे निस्तार पाबैनके भोज खाइबला मेजवानके घर कते छै?’
अतबेक कहैके मारथा गेलै आ आपन बहिन मरियमके एक कातमे बोल्याके कहल्कै, “गुरु जी एते एलछै आ तोरा बोल्यारहल छौ।”
तुसब त हमरा ‘गुरु’ आ ‘परभु’ कहैचिही। यि त तुसब ठिके कहैचिही, कथिलेत हम ओह्या चियौ।
देख, हम केबारके देहरीमे ठार भ्याके ढकढकाइबौ। कोइ हमर सोर सुनके केबार खोइलदेतै त, हम ओकर कते भितर एबै आ ओकरसङे भोजन खेबै आ उ हमरसङे भोजन खेतै।