4 युहन्ना उंटके रुइयाँसे बनल बस्तर पिन्हैछेलै। उ डारमे छलाके डरकस्ना बान्हैत रहै। ओकर खाइबला चिज फैनगा आ बोन-मौध छेलै।
“कथिलेत युहन्ना लोकसब जखा खाइत पियैत नै एलै, तैयो तुसब ओकरा भुत लागल छै कैहके कहैचिही।
तब कथी देखैले गेल छेल्ही? कि असल-असल बस्तर पिन्हल लोकके? असल-असल बस्तर पिन्हैबलासब त राजदरबारमे रहैछै।
युहन्ना उंटके रुइयाँसे बन्याल बस्तर पिन्हैछेलै आ डारमे छलाके डरकसना बान्हैछेलै। तब उ फैनगा आ बोनके मौध खाइछेलै।
उ एलिया जखा सक्ती आ पबितर आत्मासे भरल लोक बन्तै। उ परभु आबैके लेल लोकसबके हिरदय तैयार करतै। बाबुसबके मन धियापुता दिसन आ थेथरसबके मन धरमीसबके बुइधमे तैयार कैरके घुम्याके लाबतै।”
हमर दुइटा साक्छीसबके एक हजार दुइ सय साइठ दिनतक बोराके बस्तर लगाके अगमबानी बोलैके सक्ती हम देबै।”