3 आ अनगुतमे अकासके लाल आ करिया बादल लागल देखके थाह हैछौ कि, ‘आइके अन्हर-बिहाइर एतौ।’ तुसब अकासके अबस्था देखके मौसम बताइले जानैचिही, महज यि समयके लछनसबके अरथ खोलैले नै जानैचिही?
अन्हरासब देखैछै, नेङरासब चलैछै, कोढि-कुस्टी लागलसब सुध हैछै, बैहरासब सुनैछै, मरलसब जिजाइछै आ दुखी गरिबसबके सुसमाचार सुनाइछै।
हे कपटीसब! यसैया अगमबक्ताके कहल बातसब तोरासबमे जहिनाके तहिना मिलैछौ-
महज येसु ओइसबके दुस्ट बिचार थाह पाइबके कहल्कै, “ए कपटीसब, छल कैरके हमरा कथिले फसाइले चाहैचिही?
“तोहे धरमगुरुसबके आ फरिसीसबके धिक्कार! तुसब कपटी चिही! कथिलेत तुसब स्वरगके राजके केबार खोलैबला कुजी त लेल्ही, महज नै अपने ढुकलिही नै दोसरके ढुकैले देल्ही।
येसु पुरे गालिल परदेसके सभाघरसबमे सिक्छा देबे लाग्लै, स्वरगके राजके सुसमाचार परचार करैत आ लोकसबमे लागल सब परकारके रोग-बिमारके निक करल्कै।
ऐ कपटीसब! पहिने आपन आँखके ढेङ निकाल तब तु आपन भाइके आँखके कुरकुट निकालैले निकसे देखे सकबिही।
धिक्कार तोरासबके! कथिलेत तुसब ओइ चिहान नहाइत चिही जकर कोनो पहिचान नै हैछै।” तब थाह नै पाइबके ओकर उपर चलै-फिरै छै।
ऐ कपटीसब! तुसब अकास आ धरतीके लछनसब कैह दैले सकैचिही, महज यि समयके अरथ लगाइले नै जानैचिही?
महज परभु ओकरासबके जबाफ देल्कै, “ए कपटीसब, के पबितर बिसरामके दिनमे आपन गाइ या गदहाके खुट्टासे घुरी खोइलके पानी पिआइले नै लजाइचिही से?
ठोस भोजन खाइबला परिपक्क लोक रहैछै। उसब दिमागके निरन्तर अभ्यास दुवारा असल आ खराब छुटियाबे सकैबला भेल रहैछै।