30 बाली काटै बखत तक दुनुके सङे-सङे बरहेदहै। गहुम काटै बखत हम काटैबलासबके कहबै, ‘पहिने झरके ढेरिया आ डाहैले बोझा बान्ह, तब गहुमके हमर बेखारीमे राख।’”
महज राइतमे लोकसब सुतल बखत ओकर दुस्मन एलै आ गहुम छिटल खेतमे झरके बिचहनसब छिटके चैलगेलै।
“महज मालिक कहल्कै, ‘नै’, अखुन नै उखार, कथिलेत झर सङे गहुमो उखैर जेतौ।
ओइ बखत पिरथिबीके सब जातीके लोकसब ओकर अगा जमा हेतै, जनङ चरबहा भेंरासबसे खसि-बकरीके अलग करैछै तहिने उ लोकसबके एकदोसरसे अगल करतै।
“तकरबाद उ आपन बमा कता भेल्हासबके कहतै, हे परमेस्वरसे सराप पाबलाहा लोकसब। हमरसे दुर चैल जो! सैतान आ ओकर दुतसबके लेल तैयार करल कहियो नै मुझाइबला आइगमे चैल जो।
फटकैबला सुपा ओकरे हाथमे छौ आ उ आपन खरहियानके आपने साफ करतौ। आपन गहुम बखारीमे जम्मा करतौ, महज भुसा जतेक सब नै बुताइबला आइगमे जराइतै।”
फटकैबला सुपा ओकरे हाथमे छै, फटैक के गहुम आ भुसा अलग करतौ तब गहुमके बखारीमे जम्मा करतौ, तब भुसाके कहियो नै बुताइबला आइगमे जराइतौ।”
यदी कोइ हमरमे नै रहतै त, उ काटल ठाइर जखा बाहर फेकल जेतै आ उ सुइख जेतै। एहेन ठारइरसबके लोकसब एक ठाममे जम्मा कैरके आइगमे झोइक दैछै आ उ डैहजेतै।
तैखातिर परभु नै आबैतक ककरो दोस नै लगा। आब अन्हारमे घोसरल बातसब उ इजोतमे लाबतै आ लोकके मनभितरके बिचारसब परकट करतै। तब सबलोक परमेस्वरसे आपन परसन्सा पाबतै।
कोनो-कोनो लोकके पाप साफ-साफ देखा परैछै आ उसब नियाय हैसे पहिने दोसी ठहैर जाइछै, महज कतहेक गोराके पापसब पछासे मातरे देखापरैछै।