43 “कोनो भि असल गाछमे खराब फल नै फरैछै, तैहनङ कोनो भि खराब गाछमे असल फल नै फरैछै।
“कोनोभी असल गाछमे असले फल फरैछै आ खराब गाछमे खराबे फल फरैछै। कथिलेत गाछ ओइके फरसे चिन्हल जाइछै।
अखुन गाछके जैरमे कुरहाइर परे लागल छै, कथिलेत असल फल नै फरैबला सबगाछ काइटके आइगमे फेकल जेतै।
आपन आँखके ढेङ नै देखैचिही त आपन भाइके कनङके कहे सकबिही, ‘ला त तोहर आँखके कुरकुट निकाइल दैचियौ।’ ऐ कपटीसब! पहिने आपन आँखके ढेङ निकाल तब दोसरके आँखके कुरकुट असलसे देखे सकबिही।”