24 महज धिक्कार, तोहे धनिक्हासबके कथिलेत तोरासबके सुख-चैन मिलल छौ!
“जब तुसब उपास बैठैचिही तब कपटी जखा उदास चेहरा नै देखा। कथिलेत लोकसबके उपास बैठल देखाइले उसब आपन मुह मलिन करने रहैछै। साँचे हम तोरासबके कहैचियौ, ओकरासबके मिलैबला पुरे इनाम मिलगेलछै।
“जब तुसब दान दैचिही त, आपनेसे ढोल नै पिट, जनङ कपटीसब सभाघरसब आ रस्तामे लोकसबसे आपन परसन्सा पाबैले करैछै। साँचे हम तोरासबके कहैचियौ, ओइसबके आपन इनाम भेटगेलछै।
“जब तुसब परथना करैचिही त, तखुन कपटी जखा नै बन, कथिलेत उसब सभाघरसबमे आ रस्ताके कात-करौतके लोकसब देखे कैहके ठरा भ्याके परथना करैछै। साँचोके, हम तोरासबके कहैचियौ, उसबके आपन इनाम मिलगेलछै।
धिक्कार, अखन तुहे अगहेल्हासब कथिलेत तोरासबके भुखले रहेपरतौ! अखन हाँसैबलासब, तोरासबके दुख हेतौ आ काने परतौ!
अइ सन्सारमे धनिक भेल लोकसबके घमन्डी नै बन कैहके आग्या दहै। अनिस्चीत धन सम्पैतमे नै महज सब चिज परसस्तसे आपनसबके भोग करैले दैबला परमेस्वरमे भरोसा कर कैहके ओइसबके आग्या दहै।
महज तुसब त गरिबसबके अपमान करनेचिही। कि धनिक लोकसब तोरासबके अत्याचार नै करैछौ? कि उसब तोरासबके अदालतके अगा घिस्याइत नै लजाइछौ से?