25 साच्चोके धनिक लोक परमेस्वरके राजमे आबैसे त बरु उंटके टिपनीके नाथिमे ढुकैले असान हैछै!”
हम फेनो तोरासबके कहैचियौ, धनिक लोकके परमेस्वरके राजमे आबैसे त बरु, उंटके टिपनीके नाथिमे ढुकैले असान हैछै।”
हे आन्हर अगुवासब! तुसब त मछरके त छाइनलैचिही, महज उंटके सौसे घोइटलैचिही।
आब कह त हम यि लोकके, ‘तोहर पाप छमा भेलौ’ कि ‘उइठके चल’ कहैमे कोन असान हेतौ?
धनिक लोक परमेस्वरके राजमे आबैसे त बरु उंट टिपनीके नाथिमे ढुकैले असान हैछै!”
तब यि बात सुनैबलासब ओकरा पुछल्कै, “तब के उदार पाबतै त?”