19 “एक समयमे एकटा धनिक लोक रहै, जे सबदिन महङ-महङ बस्तर लगाइछेलै आ ऐस-अरामके जिन्गी बिताइछेलै।
उसब येसुके रजासब पिन्हैबला बैजनी रङके बस्तर पिन्हादेल्कै आ काँटके मुकुट बनाके ओकर मुरीमे लगा देल्कै।
उसब येसुके घिस्येलाके बाद ओकर बस्तर खोइलदेल्कै आ पहिन्का बस्तर पिन्हादेल्कै। तकरबाद येसुके कुरूसमे लटकाइले बाहर ल्यागेलै।
“कुछ दिनके बाद छोटका बेटा सब धन-समपैत जमा कैरके दोसर देस चैलगेलै आ ओते उ आपन मौज-मस्तीमे खा-पिके सब समपैत उराइल्कै।
येसु आपन चेलासबके कहल्कै, “कोनो धनिक लोकके एकटा मुन्सी छेलै। ‘उ आपन मालिकके धन-समपैत उरा रहलछै कैहके’ ओकर उपर आरोप लागल छेलै।
जे आपन घरबालीके छोइरके दोसरसे बियाह करैबला लोक बेबिचार करैछै आ घरबलासे छोरपतर करल जनिसबसे बियाह करैबला ओहो लोक बेबिचार करैछै।”
ओकर देहरीमे लाजरस नामके एकटा गरिब लोक रहैछेलै, जकर भोइर देह घाँहे-घाँह छेलै।
उ जनी बैजनी आ लाल रङके बस्तर लगाइने छेलै आ सोना, बहुमुल्य रत्न आ मोतिसबके गहना-गुरियासे सिङगारल छेलै। ओकर हाथमे सोनाके एकटा बाटी छेलै आ ओइमे बेबिचारके घिनलागैबला असुध चिजसबसे भरल छेलै।
कहतै, “धिक्कार, धिक्कार, हे महानगरी, मलमलके असल बस्तर, बैजनी आ चमकदार लाल बस्तर लग्याके सोना, बहुमुल्य रत्न आ मोतिके गहनासे सिङारल छेलै।
उ जतहेक मान-सम्मान आ भोग-बिलास करने छै, ओतबेहेक ओकरा दुख आ सोक दहै। कथिलेत उ मनमने कहैछै, ‘हम त महरानी चियै, हम बिधुवा नै चियै, हमरा कहियो सोक करैले नै परतै।’