56 ऐ कपटीसब! तुसब अकास आ धरतीके लछनसब कैह दैले सकैचिही, महज यि समयके अरथ लगाइले नै जानैचिही?
ओहै बखत येसु कहल्कै, “हे पिता स्वरग आ पिरथिबीके मालिक, हम अहाँके धन्यबाद चरहाइचियै, कथिलेत यि बातसब अहाँ बातसब बुधिमान आ बिदवान सबसे घोसाइरके राखलियै, महज बच्चासबमे परगट करलियै।
आ अनगुतमे अकासके लाल आ करिया बादल लागल देखके थाह हैछौ कि, ‘आइके अन्हर-बिहाइर एतौ।’ तुसब अकासके अबस्था देखके मौसम बताइले जानैचिही, महज यि समयके लछनसबके अरथ खोलैले नै जानैचिही?
“जब तुसब दान दैचिही त, आपनेसे ढोल नै पिट, जनङ कपटीसब सभाघरसब आ रस्तामे लोकसबसे आपन परसन्सा पाबैले करैछै। साँचे हम तोरासबके कहैचियौ, ओइसबके आपन इनाम भेटगेलछै।
महज परमेस्वरके देल समय पुरा भेलाके बाद आपन बेटाके पठाइल्कै। उ जनिके कोखसे जलमलै आ बेबस्थाके अधिनमे जलमल छेलै।