44 साच्चे हम तोरासबके कहैचियौ, मालिक ओकर बिस्बाससे ओकरा सब समपैतके जिम्मा देतै।
साँचे हम तोरासबके कहैचियौ, मालिक सारा सम्पतिके जिमा ओइ नोकरके देतै।
मालिक कहल्कै, ‘स्याबास! तु असल आ बिस्बास योग्य नोकर चिही। थोरबे चिजमे तु बिस्बास योग्य रहलिही। आब हम तोरा बहौत चिजके जिमा देबौ। हमरासङे आनन्द मना।’
उ मुखिया धैनके हेतै, जब ओकर मालिक एतै तब ओकरा ओहिनङ काम करैत देखतै।
महज उ मुखिया आपन मनमे ‘हमर मालिक अबेरसे एतै’ कैहके सधारन नोकर-चाकरके मारे-पिटे लाग्तै आ जथाभाबी खा-पिके माते लाग्तै त,
अहैलेल हम तोरा यि सल्लाह दैचियौ कि, धनिक हैकेलेल आइगसे खारल निखुर सोना हमरसे किन। आपन नाङट आङके लाज झापैके लेल उजर बस्तर हमरसे किनके लगा आ आँखसे देखे सकैबला हैकेलेल हमरे मलहम किनके लगा।