42 “महज तु फरिसीसबके धिक्कार! कथिलेत तुसब पुदिना, मसला आ हरेक जरिबुटीके दसांस चरहाइचिही, महज औरो कामके बास्ता रखैत नियाइ आ परमेस्वरके परेमके ओहौसे बेसी ध्यान दैके चाही।
“तोहे धरमगुरुसबके आ फरिसीसबके धिक्कार! तुसब कपटी चिही! कथिलेत तुसब स्वरगके राजके केबार खोलैबला कुजी त लेल्ही, महज नै अपने ढुकलिही नै दोसरके ढुकैले देल्ही।
“महज तु धरमगुरुसब आ फरिसीसबके धिक्कार! तुसब कपटी चिही! कथिलेत तुसब पुदिना, सोप आ जिराके दसांस त चरहाइचिही, महज बेबस्थामे रहल गहनगर बातसब नियाय, दया आ बिस्बास योग्य जखा बहौत असल बातसबके कुछो मतलब नै राखैचिही। महज करैके एहो छेलौ कि तुसब बेबस्थामे रहल बातसबके माने परतियौ।
“तुहे धरमगुरुसब आ फरिसीसबके धिक्कार! तुसब कपटी चिही! कथिलेत तुसब चुनासे पोतल चिहानसब जखा चिही, जे बाहरसे त सुन्दर देखाइछै, महज ओकर भितरमे मुरदाके हडी आ सरल चिजसे भरल रहैछै।
हम हप्ताके दुइ दिन उपास बैठैचियै आ सब चिजके दसांस दैचियै।’
महज हम जानैचियौ कि, परमेस्वरके परेम तोरासबके मनमे नै छौ।
यदि कोइ परमेस्वरके परेम करैचियै कहैछै आ आपन भाइ-बहिनके घिरना करैछै त उ झुठ छै। आपनसे देखल भाइके परेम नै करैबला नै देखल परमेस्वरके कनङ परेम करे सक्तै?