उ जमिन नै बेच्ने रहै ताबे तक कि तोहर आपने नै रहौ? आ बेचलाके बादो कि उ तोहर अधिकारमे नै रहौ? एहेन काम करैके बिचार तोहर मनमे कनङके फुरलौ? तु त लोकसबके नै, महज परमेस्वरके ठगने चिही।”
ओइ बखत हम बिमार छेलियौ त तोरासबके दिकत भेलछेलौ, तैयो तुसब हमरा छि-छि आ दुर-दुर नै करलिही। महज उन्टे तुसब त परमेस्वरके एकटा दुत आ खिरिस्टे जखा हमरा स्वागत करलिही।