जे असली रुप परकट हैछै उ इजोत चियै। पबितर धरमसास्तरमे अनङ लिखलछै, “हे बिभोर निनमे परल लोकसब जाग आ आपन पापके कारनसे मरल नै रह, जिबित हो। तब खिरिस्टके इजोत तोरासबमे चमकतौ।”
यदि खिरिस्टमे रहलाके कारन तुसब कुछ उत्साह पाबनेचिही, या ओकर परेमसे तुसब कुछ सानत्वना पाबनेचिही, या पबितर आत्माके संगती पाबनेचिही, या एक दोसरसङे परेम आ दया करैचिही त,