कथिलेत साँचे हम तोरासबके कहैचियौ, जबतक स्वरग आ पिरथिबी खतम नै हेतै तबतक बेबस्थामे लिखल बात बिना पुरा भेने छोटसे छोट बुन्का ओकर एकोटा आछर तक नै बुताइतौ।
अपनासबके यि बात थाहेछै कि बेबस्था त आत्मिक चियै कथिलेकी यि परमेस्वरसे आबल छै। महज हम देहके पाप स्वभाब अनुसार चलैबला आ दास जखा पापमे बेचलगेल लोक चियै।