तब भिरके लोकसब ओकरा पुछल्कै, “खिरिस्ट त सबदिन रहतै कैहके हमसब बेबस्थासे सिखने चियै। तब अहाँ कनङ कहैचियै कि मानबके बेटा उपर उठ्याल जेतै? यि मानबके बेटा के चियै?”
जै लोकमे परमेस्वरके आत्मा नै छै, उ लोक परमेस्वरके आत्माके बातसबके गरहन नै करैछै। कथिलेत एहैन बातसब ओकरलेल मुरुख बात हैछै। एहैन बात त परमेस्वरके आत्मासे मातरे बुझैले सकैछै।