51 स्वरगसे एल जिबित रोटी त हम्ही चियै। जे कोइ यि रोटी खेतै, से कोइ सबदिन जिबित रहतै। सन्सारके लोकसबके जिबनके लेल जे रोटी हम दैचियै, उ हमर देह चियै।”
तब बचन लोक बैनके अपनासबके बिचमे बास करल्कै आ अपनासब ओकर महिमा देखलियै, जे महिमा परमेस्वरसे आबैबला एक मातरे बेटामे छेलै। उ आपनौरके पुरा रुपसे अनुगरह करैछै आ सत बात मातरे बोलैछै।
येसु खिरिस्ट अपनासबके सब पापसबसे मुक्तीदैले आ सब खराबिसबसे छुटकारा दैले आपन परान निछावर करल्कै। उ यि चाहल्कै कि हमसब असल काममे उत्सुक हेबी आ ओकर अपने निज लोक हेबेसकी।