महज पबितर धरमसास्तरमे एहेन लिखलछै, “आँखसे नै देखलहा आ कानसे नै सुनलहा आ लोकके मनमे नै चितेल्हा, एह्या बात परमेस्वर ओकरा परेम करैबलासबके लेल तयार करने छै।”
उ लोक धैनके चियै, जे आपत-बिपतमे अस्थिर रहैछै, कथिलेकी जाँचके सामना करलाके बाद उ जिबनके मुकुट पाबतै, जे परमेस्वरके परेम करैबलासबके परमेस्वर दैले परतिग्या करने छै।