2 तोरौरके सम्मेलनमे असल-असल बस्तर आ सोनाके औंठी लगाइबला धनिक लोक एतौ आ दोसर फाटल-चिटल कुरता, धोती पिन्हने लेरहल-घोरहल लोक सोहो एतौ त,
महज बाबु आपन नोकरसबके बोल्याके कहल्कै, ‘झट दबर सबसे असल बस्तर आइनके अकरा पिन्हादहै। ओकर हाथमे औंठी आ टाङमे जुता लगादहै,
हेरोद आपन सेनासबसङे येसुके गिल्ला करैत ओकरा अपमान करल्कै। तकरबाद ओकरा रजासब जेहेन बस्तर लगाइछै तैहनङे बस्तर पिन्हाके पिलातसलग घुम्याके पठादेल्कै।
तै बखत तोरौरके असल-असल पिन्हैबला धनिक लोकके आदर करैत बिसेस धियान दैत कहबिही, “आबु, आबु, स्वागत अइछ, अहाँ अत निक ठाममे बैठु” महज ओतै गरिबके “ओतै ठार भेलरह या अतै भुइयाँमे हमर टाङलग बैठ” कैहके कहबिही त,